...और तुम मुझे मिल गए
बिन मांगे ही जब कोई
दुआ कुबूल हो जाए
तो जानते हो कैसा
लगता है
मुझसे पूछो…
मैंने पाया है तुम्हें, बिन मांगे, बिन
चाहे
और मैं बेइंतिहा खुश
हूं
हां…लड़ लेती हूं तुमसे
और तुम चुप से सुन
भी लेते हो
बचपना बावस्ता है
मुझमें
और तुम कुछ बड़े से
हो
पर ये जो मुझे संभाल
लेने का अंदाज है तुम्हारा...
...मुझे बेसाख्ता
प्यारा है
मैं तुम्हें चुपचाप
देख लेती हूं
तुमपर गौर करती हूं,
एकांत में तुम्हें
सोच सकूं, ऐसे पल बटोर लेती हूं
तुम शायद ध्यान
नहीं दे पाते
पर मेरा पूरा मन
तुमपर है
कुछ सिरफिरे से तो
हो
कुछ भी कहते हो-कुछ
भी सुन लेते हो
मेरे लिए हालांकि
तुम्हारा शब्द-शब्द अहम है
तुम्हारी कही हर
बात कद्र है
पिता की छवि जब पति में मिल जाए
तो जानते हो कैसा
लगता है
मुझसे पूछो...
मैंने खोजा है
तुममें वो अक्स
जो कहीं-किसी में
नहीं दिखा
जब-जब मेरा हाथ थामा
है तुमने
बेशक मैं सिहरी
हूं...लेकिन एक सुकून भी आता रहा
कि साथ तुम हो, तो कोई गम हो..देखा जाएगा
जब दिल में बसने
वाला मिल जाए
तो जानते हो कैसा
लगता है
मुझसे पूछो...
मैंने समाया है तुम्हें, अपने रोम में, ह्रदय
में, मस्तिष्क में
अब जो भी हो...देखा
जाएगा
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