मुझे मत मारो


इकलौता जो पनाह था मेरा
मां की गर्भ का सहारा था मेरा
वो भी मुझसे छिन रहा है
दूर हो रहा है मुझसे मेरा जीवन
जब पापा ही खिलाफ हो गए मेरे जीवन के
मां रो रही थी सुना था मैं ने
मां की रुलाइ भी सुनी और सिसकियां भी
पर पता नहीं क्यों पापा नें नहीं सुनीं
आवाज भी लगाई मैं ने पापा को
पर गर्भ में ही गूंज के रह गइ मेरी आवाज...
अब तक तो मैं ने जन्म भी नही लिया
अभी से सब मुझे बोझ कहने लगे
मां समझाओ ना सबको...
मैं किसी पर बोझ नहीं बनूंगी
जब तक मैं बाहर नहीं आऊंगी तब तक अपनी आवाज कैसे सुनाउंगी
मुझे भी जीना है
मुझे भी दुनिया देखनी है
मुझे भी बडा होना है
मां मेरी विनती सुन लो
मुझे मत मारो... मुझे मत मारो

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