हैट्स ऑफ हॉलीवुड
मैं बहुत ज्यादा हॉलीवुड
फिल्में नहीं देखती। कारण मुझे रोमांटिक और पारिवारिक फिल्में पसंद हैं। एक्शन
से दूर ही रहती हूं, और हॉलीवुड के लिए मित्रों से हमेशा सुना है कि उसमें हिंदी
पिक्चरों जैसा बोगस रोमांस नहीं होता, बात-बात पर गाने भी नहीं होते। दो-टूक अपनी
बात कहकर खत्म हो जाती हैं हॉलीवुड फिल्में। मुझे ऐसा बिलकुल पसंद नहीं। फिल्म
तीन घंटे की न हो तो बेकार है। लव ट्राइंगल न हो तो क्या मजा। और गाने, भई गाने
तो मूवी की जान होते हैं। इसीलिए हॉलीवुड को नापसंद करती थी। लेकिन कल रात को नींद
आंखों को छूने का नाम ही नहीं ले रही थी। तमाम करवटें और फोन पर जमकर सुडोकू खेल
चुकने के बाद भी मैं निद्रावस्था की ओर प्रस्थान करने में असमर्थ थी। हार कर
अपने अजीज साथी लैपटॉप को खोल लिया। पूरा खंगाल डाला तब जाकर डी ड्राइव में एक
जेम्स बांड की फिल्म दिखाई दी “कसीनो रॉयल”। नींद नहीं आ रही थी और कोई ऑप्शन भी नहीं था। फट से
लैपटॉप में इयरफोन अटैच किया और फिल्म शुरू। पहली बार मुझे जेम्स बांड के दर्शन
हुए। शुरुआत बोरिंग थी पर बाद में मजा आने लगा। छोटी-छोटी बातों से सामने वाले का
झूठ पकड लेता है। दम तो है बंदे में। फिल्म के बीच में बेहद कम कपडों में एक लडकी
दिखाई दी। बांड ने अपने गुप्त मिशन के तहत उसका इस्तेमाल किया और उसे भी अजनबी
मर्द के साथ जाने में कोई गुरेज नहीं था। सच में अंग्रेजी फिल्मों में इमोशंस
नहीं होते, मैंने सोचा। करीब 45 मिनट की फिल्म के बाद बांड की मुलाकात एक और लडकी
से हुई, नाम था वेस्पर। बांड ने वेस्पर की पहली ही मीटिंग में जमकर बेइज्जती
की। इतनी कि अगर मैं वेस्पर की जगह होती तो एक तमाचा जरूर रसीद देती। लेकिन वेस्पर
ने अपने अंदाज में बांड की दुगनी धो दी। मजेदार सीन था। इत्तेफाक ये था कि एक
दूसरे को नापसंद करने के बावजूद दोनों को साथ में किसी मिशन पर जाना था। कुछ दिनों
तक दोनों में खूब नोंझकोंक हुई। इन तकरार में भी कहीं न कहीं प्यार जरूर था, ऐसा
मुझे लगा क्योंकि मैं बॉलीवुड देख देख के हर बात पर रोमांस निकाल लेती हूं। इसी
बीच मम्मी के चिल्लाने की आवाज आई कि सो जाओ। डर के मारे मैंने लैपटॉप तो बंद कर
दिया लेकिन मन कसीनो रॉयल में ही लगा रहा। अगले दिन मौका मिलते ही ऑफिस में ही
फिल्म निपटा दी। (मेरे बॉस को ना पता चले वरना मेरी लंका लग जाएगी)
फिल्म आगे बढती रही
और मेरी दिलचस्पी भी। इसमें कोई शक नहीं कि हॉलीवुड फिल्मों की क्वालिटी हमसे
बेहतर होती है। एक सीन ऐसा आया कि वेस्पर को कुछ आतंकवादियों ने जकड लिया और बांड
ने जान पर खेल कर उसे बचाया। इसी बीच एक आतंकवादी की जान भी चली गई। वेस्पर ये
देख कर सदमे में आ गई और यहां से कहानी में रोमांस का छौंका लगा। बांड रूम में
पहुंचता है और देखता है कि डरी सहमी सी वेस्पर उन्हीं कपडो में शावर के नीचे
बैठी भीग रही है। बांड को देखते ही धीमे से कहती है कि खून के निशान अभी भी
नाखूनों से नहीं मिट रहे। बडे प्यार से बांड उसकी उंगलियों को सहला कर कहता है कि
सब ठीक है…और ऐसे शुरू हुई दोनों की प्रेम कहानी। बीच में कई बार बांड
वेस्पर के लिए जोखिम उठाता है। वेस्पर भी उसे बहुत प्यार देती है। अंत में उसके साथ एक सुकून भरी जिंदगी गुजारने
के लिए इस्तीफा भी लिख देता है। फिल्म में जितने
मजेदार एक्शन सीन्स थे उससे लाख गुना बेहतर रोमाटिंग डॉयलॉग थे। बांड जैसे सख्त
और कठोर शख्स ने जैसे वेस्पर के आगे अपना दिल ही निकाल के रख दिया हो। फिल्म के
आखिर में वेस्पर की मौत के बाद यह जान कर वह वह एक बेवफा थी बांड बुरी तरह टूट जाता है, लेकिन अगले ही पल एक नए मिशन के लिए उसकी तैयारी शुरू हो जाती है।
हैट्स ऑफ हॉलीवुड… स्टोरी से लेकर
डायलॉग, डायरेक्शन और हर चीज में ग्रेट। बॉलीवुड अभी तुमसे मीलों दूर है।
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