फिर से भ्रष्टाचार का तमाशा- आखों देखा
मेरा पासपोर्ट बनने के लिए एक पुलिसकर्मी जांच करने आया था कुछ दिन पहले। नाम बी.के तिवारी (अलीगंज थाने का पुलिसकर्मी)। व्यस्तता के कारण मैं ने उस फार्म को जमा करने के लिये कुछ दिन मांगे जिसमे कुछ रिश्तेदारों के दस्तखत ज़रूरी थे। आज जब मैं ने उन्हे फार्म जमा करने के लिए फोन किया तो बातचीत कुछ ऐसी हुई :
मैं: अंकल नमस्ते मैं साशा बोल रहीं हूं मैं ने पासपोर्ट के फार्म के लिए फोन किया है। मैं फार्म कहां दे दूं आपको, आप जगह बता दीजिए मैं आ जाती हूं।
तिवारी जी: अलीगंज थाने आ जाओ ११.३० बजे
मैं: ठीक है अंकल साथ में कुछ और कागज़ात या कुछ और लाना है
तिवारी जी: हां साथ में अपनी १ फोटो लेती आना... और..और कुछ खर्चा पानी भी लेती आना
मैं: क्या...कैसा खर्चा पानी आप पैसे मांग रहे हैं किस बात के पैसे पासपोर्ट के १००० रुपये तो पासपोर्ट ऑफिस में जमा हो चुके हैं फिर किस बात के पैसे। और ये खर्चा पानी क्या है साफ साफ रिश्वत कहिये ना।
हालांकि इतना सुनने के बाद दोबारा उसने पैसे नहीं मांगे पर कितने शर्म की बात है कि जहां अण्णा हज़ारे जैसे लोग देश के लिये अपना सब कुछ न्योछावर कर रहे हैं वहां कुछ लोगो को डांट डपट कर समझाना पड़ता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। पर तब भी कुछ लोगों का पेट रिश्वत से और जनता के पैसे से ही भरता है। क्या इनको कभी समझ में नहीं आएगा? क्या इनको कभी महसूस नहीं होगा कि जो ये कर रहे हैं वो कितना घातक है? आज भ्रष्टाचार का बढ़ता आतंक देख कर भी ये क्यो नहीं समझते और ये कब समझेंगे? आप को क्या लगता है?
Gud job
ReplyDeleteWell done my child! Keep it up! I am with U always.
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